“जो भी व्यक्ति जनसेवा-राजनीति में आना चाहता है। उसे मैं हमेशा एक ही बात कहता हूं- यदि जनसेवा और राजनीति में आना है तो 5 चीजें बहुत आवश्यक हैं। संपर्क, संवाद, समन्वय, सामंजस्य और सकारात्मक सोच।” यह कहना है राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह का, उन्होंने यह बात अपने सम्बोधन में कही।
उन्होंने आगे अपने सम्बोधन में कहा कि “इन पांच सूत्रों पर मैंने जीवनभर अपनी राजनीति की है।”
“आज देश में विचारधारा की लड़ाई है। एक विचारधारा एक्सट्रीम लेफ्ट (कम्युनिस्ट पार्टी) है। दूसरी विचारधारा सेंटरिस्ट (कांग्रेस और अन्य समाजवादी पार्टियां) और एक है दक्षिणपंथी (BJP-RSS) यानी जो केवल व्यवसाय और बड़े-बड़े कॉर्पोरेट का प्रतिनिधित्व करती है।”

उन्होंने मज़दूरों के हितो की बात करते हुए कहा कि “मजदूर वर्ग कभी राइट विंग के साथ नहीं हो सकता क्योंकि वो शोषण करते हैं। जो लोग आज पूरे देश में नीतियां इस प्रकार की बना रहे हैं कि उनका पूरा लाभ केवल उद्योग और बड़े-बड़े उद्योगपतियों को मिले। इसके कारण आज देश की 50 फीसदी संपत्ति केवल 200 परिवारों के पास है। ये परिवार आज भारतीय जनता पार्टी, नरेंद्र मोदी और RSS के समर्थक हैं।”
दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर वार करते हुए कहा कि “BJP जनसेवा के लिए नहीं, धनसेवा के लिए काम करती है। कोई भी BJP नेता बिना लेन-देन के बात नहीं करता। आज BJP मूल रूप से व्यावसायिक पार्टी बन चुकी है।”
“मोदी कहते थे कि ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा लेकिन 11 साल में साफ हो गया कि खूब खाओ-खूब खिलाओ।”
वर्तमान में हाई कोर्ट जज के घर से प्राप्त हुए धन पर निशाना साधते हुए दिग्विजय सिंह ने सर्कार को अड़े हाथो लिया “आप देखिए- दिल्ली के एक हाई कोर्ट के जज के घर में आग लगी। जब फायर ब्रिगेड आई तो एक कमरे में इतने नोट मिले जिनकी गिनती तक नहीं हो सकी। इतना कुछ हुआ लेकिन प्रधानमंत्री-BJP-गृह मंत्री ने एक शब्द भी नहीं कहा।”
भारतीय मजदूर संघ का संगठन है लेकिन आज उसकी भी आवाज बंद है। उससे कहा गया है कि तुम चुप रहो।
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की गाइडलाइन है कि जो भी देश जिनेवा लेबर कन्वेंशन का सिग्नेटरी है। उसे हर साल में एक त्रिपक्षीय बैठक रखना अनिवार्य है।
ये तीन पक्ष हैं- मजदूर, मालिक और सरकार
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कस्ते हुए कहा कि “मोदी जी साल 2014 में आए। पहली और आखिरी त्रिपक्षीय बैठक 2015 में हुई। उसके बाद से लेकर आजतक कोई भी ऐसी त्रिपक्षीय बैठक नहीं हुई है।”
यहां मजदूरों के लिए 44 कानून थे, इस सरकार ने सब खत्म कर 4 लेबर कोड बना दिए। आज उन 4 कोड का पालन भी नहीं हो रहा। इस देश में 50 करोड़ से ज्यादा मजदूर हैं लेकिन उनमें से महज 1 करोड़ मजदूर सेंट्रल लेबर यूनियन के सदस्य हैं।